उदयपुर जिले की सुंदर कविता • Udaipur Lake City Poem

हैलो दोस्तो, हमारे ब्लॉग में आपका स्वागत है। हमारे ब्लॉग पर  उदयपुर की सुंदर कविता जरूर पढ़ें।
इस कविता में आपको उदयपुर जिले का संपूर्ण इतिहास और भूगोल, कला और संस्कृति, पर्यटन और संसाधन आदि की जानकारी मिलेंगी।
महाराणा प्रताप की वीरता, झीलों की नगरी के सुंदर नजारे जैसे - पिछोला झील, सिटी पैलेस, विभिन्न सभ्यताएं, मेवाड़ महोत्सव आदि का सुंदर वर्णन इस कविता में पढ़े।
#Udaipur




 मैं हूं उदयपुर 

कहते मुझे पूर्व का वेनिस और झीलों की नगरी, 

सैलानियों का स्वर्ग और माउंटेन और फाउंटेन नगरी।


 35 लाख जनसंख्या मेरी और 

13 हजार वर्ग किलोमीटर है क्षैत्रफल हैं,

राजस्थान का कश्मीर कहलाता , 

मेरा हि नाम लेक सिटी और सफ़ेद नगर हैं।

 गिरवा, गोगुंदा, मावली, झाड़ोल और सेमारी सलुंबर हैं,

सराड़ा, खेरवाड़ा, कोटड़ा, लसाडिया और कानोड़ भीण्डर हैं, 

 बडगांव, ऋषभदेव और यहां वल्लभनगर हैं, 

यही है मेरी तहसीले और प्रमुख शहर हैं।


सन पंद्रह सौ उनसठ में 

राणा उदयसिंह ने मुझको बसाया, 

झीलों की अधिकता के कारण 

मैं झीलों की नगरी कहलाया, 

महाराणा प्रताप के पराक्रम और 

वीरता ने मेरा मान बढ़ाया, 

माणिक्य लाल वर्मा ने 1938 में 

यहां मेवाड़ प्रजामंडल बनाया , 

मोहनलाल सुखाड़िया आधुनिक राजस्थान 

का निर्माता कहलाया, 

मोतीलाल तेजावत ने भील जनजागृति के लिए 

एकी आंदोलन चलाया , 

दौलत सिंह कोठारी ने कोठारी आयोग 

और डीआरडीओ स्थापित कराया ।


कई सालों तक रहा मैं मेवाड़ की राजधानी, 

बहुत ही गौरवमयी है मेरी कहानी, 

बहती यहां आहड़ नदी जहां 

सभ्यता पांच हजार साल पुरानी, 

बालाथल सभ्यता है यहां 

जिसकी मौजूद है आज भी निशानी, 

एकलिंगजी का आशीर्वाद है मुझ पर 

मै हूं व्हाइट सिटी सबसे रूमानी।

सलूंबर में पले वीर रतनसिंह 

शीश काटकर देने वाली हाड़ीरानी, 

यहीं पले क्रांतिकारी केसरीसिंह 

इनके पुत्र हुए बड़े बलिदानी ।

केसरीसिंघ ने लिखे 13 सोरठे, 

कहलाते है चेतावणी रा चुंगटियां , 

जरगा और रागा के बीच है देशहरो 

गिरवा के चारों ओर पहाड़ियां, 

ऊंचा है भौराठ का पठार, 

लंबा है लसाडिया का पठार, 

 झामरकोटड़ा में निकले रॉक फॉस्फेट 

जावर देबारी में सीसा-जस्ता-चांदी का कारोबार , 

डबोक में है एयरपोर्ट और 

यहां है एमएलएसयू विश्वविद्या का भंडार , 

गुलाबबाग सज्जनगढ़ और

फुलवारी की नाल में है पशु पक्षी विहार ।


बलिचा गांव में है चेतक की छतरी, 

बांडोली में है राणा की छतरी, 

चावंड गोगुंदा है प्रताप की राजधानियां 

और महाराणा प्रताप स्मारक है मोती मगरी

धुलैव में ऋषभदेव केसरियाजी मंदिर,

जैन वैष्णव और भीलों का पवित्र मंदिर, 

यहां हैं जावर माता और जगदीश मंदिर।

यहीं है मच्छंदर नाथ और आहड़ के जैन मंदिर, 

नागदा में सास-बहू मंदिर ।

और केलाशपुरी में एकलिंगजी तीर्थस्थल ।

बागौर की फेमस हवेली यहां 

और है यहां भारतीय लोककला मंडल


वल्लभनगर में ऊंठाला दुर्ग और 

मेवाड़ चावंड शैली के चित्र प्यारे।

अप्रैल में मनाते मेवाड़ महोत्सव

 देखते हैं जहां लोग सारे । 

पिछोला में जगनिवास और जगमंदिर प्यारे, 

सुंदर सिटी पैलेस बना है इसके किनारे।

बाहुबली हिल्स और सहेलियों की बाड़ी 

और यहां बने हैं कई महल प्यारे-प्यारे।

घूमर गैर गणगौर और गवरी ,

यहां के त्यौहार है न्यारे-न्यारे ।


जो भी उदयपुर आता है, 

झीलों की नगरी के सौंदर्य मे खो जाता है। 

फतहसागर उदयसागर झील और 

जयसमंद भी मन को लुभाता है। 

जगत में प्रसिद्ध अम्बिका माता हैं , 

सज्जनगढ़ वीरों की याद दिलाता है। 

प्रताप गौरव केंद्र यहां जो 

शौर्य और वीरता दिखाता है।

 


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