भरतपुर की शानदार कविता • Bharatpur Lyrics Poem •

नमस्ते दोस्तों, भरतपुर जिले की सुंदर कविता जरूर पढ़ें। महाराजा सूरजमल की वीरता, डीग के महल, बयाना, लोहागढ़ दुर्ग और केवलादेव उद्यान की कविता पूरी पढ़े।
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 मैं हूं भरतपुर 

सन् 1733 में मुझको बसाया, 

मेरे संस्थापक महाराजा सूरजमल , 

29 लाख जनसंख्या मेरी और 

5 हजार वर्ग किलोमीटर है क्षेत्रफल,


मैं बोल रहा हूं भरतपुर, 

जहां लोहागढ़ अजेय दुर्ग है,

वीरता है यहाँ के कण-कण में रंग भगवा सुर्ख है ।


जहां आते अनेकों पंछी वो केवलादेव पक्षी विहार,

नीलगाय सांभर चीतल और साइबेरियन सारस की भरमार, 

यहां लक्ष्मी विलास और गंगा महारानी मंदिर, 

यहां लक्ष्मण मंदिर और बांके बिहारी मंदिर ,

ये शहर की शान है,

मुझको जिसपर अभिमान है,

मेवाती और बृजभाषा यहां लोगों की पहचान है , 

चूड़ामन बदनसिंह और सूरजमल राजा महान है ।

 

बृज महोत्सव की छठा है अनूठी हर दिन हरपल सुहाना है , 

कृष्णा रंग में रंगा रोम-रोम यहां हर दिल कन्हैया का दीवाना है ,

श्रीपंथ बयाना यहाँ का एक शहर जिसका इतिहास पुराना है,

उषा मंदिर और कुण्ड-बावडियो से कब शहर अनजाना है।


रंगीन फुहारे किला बावड़ी, यहां बदनसिंह का दीर्घापुर ,

सुन्दर यहां डीग के जलमहल प्राचीन धरोहर हूं मैं भरतपुर।


लोहागढ़ के वीर पुरोधाओं की गाथा गाता हूँ, 

महाराजा सूरजमल से वीरों की याद दिलाता हूँ, 


  जय राजा सुरजमल, जय राजस्थान ।


दोस्तों आपको ये कविता कैसी लगी कमेंट में बताएं।

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