हमारे ब्लॉग में आपका स्वागत है। राजसमंद जिले की शानदार कविता जरूर पढ़ें। नाथद्वारा में श्रीनाथजी, कांकरोली में द्वारकाधीश, हल्दीघाटी और कुंभलगढ़ का संपूर्ण इतिहास और जिले का संपूर्ण इतिहास और भूगोल • कला और संस्कृति • पर्यटन और संसाधन इस कविता में पढ़ने को मिलेगा
मैं हूं राजसमंद
महाराणा राजसिंघ ने मुझको बसाया,
ईस्वी सन् था सौलह सौ पचहत्तर,
जनसंख्या मेरी तेरह लाख और
क्षैत्रफल हैं 45 सौ वर्ग किलोमीटर,
मैं हूं राजसमंद शहर न्यारा
इस धरती का कण कण प्यारा ।
जनम मिले तो यहीं मिले
जहां बिराजते द्वारिकाधीश ,
नाथद्वारा में श्रीनाथजी
सिर पे चारभुजानाथ का आशीष।
मेवाड़ महाराणा राज सिंघ
और पले यहां कई शुर वीर है,
छटा निराली राजसमंद झील की
जिसके घाट घाट मनोहर तीर है,
दिव्य छटा हमारी नौ चोकी की
अंकित इतिहास हर प्राचीर हैं।
दयालशाह जी किला सुगढ,
पवित्र स्थलों से पावन है माटी,
1576 के विश्व प्रसिद्ध युद्ध की
याद दिलाती है जहां हल्दीघाटी,
हुए कई महान युद्ध यहां
प्रसिद्ध रक्ततलाई और खमनौर घाटी,
महाराणा प्रताप की याद दिलाती
जहां है महान दिवेर की घाटी
विश्वप्रसिद्ध है यहां कुंभलगढ़ ,
ऊंचा देखें तो पगड़ी गिर जाए,
बहुत लंबी है दीवार इसकी
चाइना दीवार फीकी पड़ जाए,
उदयसिंह प्रताप और कुम्भा पले यहां,
आओ मिलके इस धरा का गुण गाए।
रुपनारायण सैवंत्री तीर्थ पावन
और रोकडिया हनुमान जी का जयकारा ,
ऊंची यहां शिवजी की प्रतिमा,
पिछवाई कला से रंगा नाथद्वारा,
रामेश्वर कुंतेश्वर परशुराम महादेव बिराजे
व कांकरोली में द्वारिकाधीश मंदिर प्यारा।
राज सिंघ ने मेरा मान बढ़ाया हौसलें थे उनके बुलन्द ,
अरावली की दिव्य छटा में प्यारा शहर मैं राजसमंद।
दोस्तों आपको ये कविता कैसी लगी कमेंट में बताएं।
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