हैलो दोस्तों आज हम पढ़ेंगे एक सुंदर कविता। बाड़मेर जिले का संपूर्ण इतिहास, भूगोल, कला, संस्कृति और पर्यटन स्थल पर शानदार कविता जरूर पढ़ें ।
मैं हूं बाड़मेर ।
थार नगरी और धोरो का गढ़ ,
मैं हूं 30 लाख आबादी वाला नगर,
क्षेत्रफल मेरा 28 हजार वर्ग किलोमीटर,
तेरहवीं सदी में बाहड़राव ने,
बाड़मेर को बसाया हैं,
थार महोत्सव व पशु मेलों ने
हर मन को हरखाया हैं,
वीर नारायण पवार ने सिवाना में
किलोनगढ़ दुर्ग बनवाया है ,
यहां जन्में बाबा रामदेवजी
जिन्होंने बहुत चमत्कार दिखाया है।
गौरवमयी हैं मेरा इतिहास,
यहां जन्में राठौड़ वीर दुर्गादास,
यहीं जन्में प्रसिद्ध संत ईश्वर दास,
और यहीं के है आशाजी बारहठ और बांकी-दास ।
नागणा में नागणेची माता हैं ,
जसोल में भटियाणी माता हैं।
खेड़ में रण-छोड-राय मंदिर ,
और चौहटन में वैर विरात्रा माता हैं।
बालोतरा में लूणी नदी का पानी खारा हो जाता है ,
थार नगरी के नाम से बाड़मेर को जाना जाता हैं,
बलिदानी व देश-प्रेम से कई वीरों का नाता हैं,
किराडू के मन्दिर राजस्थान का खजुराहो कहलाता हैं ।
मुझपे रानी भटियाणी का आशीर्वाद,
प्रसिद्ध यहां बाटाडू का कुआं ।
आसोतरा ब्रह्मधाम यहां,
खेती कहलाती मानसून का जुआं।
मल्लीनाथ का जन्मस्थल
जहा भरता तिलवाड़ा पशुमेला,
यहां नाकोड़ा जैन तीर्थस्थल
देखो सुइयां और अर्द्ध सुइयां मेला,
बालोतरा में पचपद्रा झील
और यहां थार रेगिस्तान ,
और कितना करूं मैं इसका बखान,
कण कण सु गुंजे जय जय राजस्थान।
कैर कुमटिया सांगरी धरती निपजै धान,
मीठा बोलै मानवी रंगीलो सारों राजस्थान ,
घर आया आदर घणों, लोग बढा वे मान,
भलै पधारों पावणां म्हारे राजस्थान।
खम्माघणी दोस्तों , मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे कमेंट में बताएं
0 टिप्पणियाँ