हमारे ब्लॉग पर अलवर जिले की शानदार कविता जरूर पढ़ें। अलवर का इतिहास, भूगोल, कला और संस्कृति पर्यटन और संसाधन की कविता हैं।
मैं हूं अलवर
मैं मत्स्यसंघ की राजधानी
और राजस्थान का सिंहद्वार,
11वीं सदी तक रहा था मुझ
पर चौहानों का अधिकार,
उसके बाद गुलामवंश मुगल वंश और
महाराजा सूरजमल ने किया था शासन,
राव प्रताप सिंह ने अलवर रियासत
का किया था स्थापन,
निमूचणा सम्मेलन में अंग्रेजो की गोलाबारी से
शहीद हुए सैकड़ों किसान जन ।
मैं हूं राजस्थान का स्कॉटलैंड,
जनसंख्या मेरी 42 लाख के पार,
83 सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल मेरा
और मैं नगर हूं बड़ा शानदार,
यहां पर है खूबसूरत सिटी पैलेस और है पुर्जन विहार,
बाला किला है यहां पूरी पहाड़ी में फैली उसकी दीवार,
खूबसूरत सिलिसेढ झील का नजारा है शानदार।
बाघ तेंदुए रहते है जहां
वो है प्रसिद्ध सरिस्का वन्यजीव उद्यान,
यहीं पर है सरिस्का पैलेस, राजमहल, पांडुपोल यहां बिराजते नीलकंठ और हनुमान,
यहां हैं भानगढ़ किला सुंदर
और भतृहरि का निवास स्थान,
डेहरा में जन्में संत चरणदास और
धोलीदुव हैं संत लालदास का जन्मस्थान,
बहरोड में जिलानी माता और
मल्लीनाथ का नौचौकियां तीर्थस्थान ।
सरी-नृत्य ढप्पाली ख्याल और
अलवर चित्रशैली फैमस यहां ,
सुंदर सिलिसेढ महल और
कांकन बाड़ी का किला प्रसिद्ध यहां ,
मुसी महारानी की छतरी यहां,
केसरोली किला प्रसिद्ध जहां ,
मोती डूंगरी में बने हैं अनेको मंदिर
निमराणा में बावड़ी और किला वहां ।
यहां जैन मंदिर तिजारा,
जहां विजय मन्दिर है प्यारा,
चारों ओर है हरियाली
फतेह जंग गुबंद है न्यारा ,
भिवाड़ी है औद्योगिक नगरी
अलवर शहर इतना प्यारा,
मत्स्य फेस्टिवल में झूमता है
अलवर नगर सारा।
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