मैं हूँ जयपुर,
राजस्थान की राजधानी जयपुर,
कच्छवाहा राजपूत राजाओ ने यहां शासन किया,
दुल्हेराय ने कच्छवाह वंश को स्थापित किया ।
कोकिलदेव ने आमेर को नई राजधानी बनाया ,
भारमल भगवंतदास और मानसिंह ने यहां राज किया,
मिर्जा राजा जयसिंह और प्रताप सिंह ने भी राज किया ।
सवाई जयसिंघ ने मुझको बसाया, वैभव नगरी मैं कहलाया।
राजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने , गुलाबी रंग में मुझको रंगवाया
रत्न-पन्ना नगरी, दूसरा वृंदावन और गुलाबी नगरी मैं कहलाया ।
सवाई जयसिंह थे एक महान शासक,
दूरदर्शी और कल्याण दायक।
गांव जोड़ कर इन्होंने सन् 1727 में शहर बसाया,
विद्याधर भट्टाचार्य की वास्तुकला से जयपुर सजाया ।
जय सिंघ ने अंतिम अश्वमेध यज्ञ कराया।
इन्होंने हि हुरड़ा सम्मेलन आयोजित करवाया ।
खुबसूरत चंद्र महल का निर्माण कराया ।
कल्कि मंदिर और नाहरफोर्ट बनवाया।
जल-महल और आमेर पैलेस,
जंतर-मंतर और सिटी पैलेस बनाया।
सिसौदिया रानी गार्डन और ,
पांच वेधशालाओं का निर्माण कराया।
75 लाख से ज्यादा जनसंख्या मेरी,
11 हजार वर्ग किलोमीटर है क्षेत्रफल।
सुंदर है जयपुर का पत्रिका गेट
यहां हैं बी एम बिड़ला तारामंडल।
ऊंची मीनार हैं यहां इसरलाट सरगासुली ,
सप्त-कुंड वाला है पवित्र गलता तीर्थस्थल।
गुलाबी बलुआ पत्थर से,
प्रताप सिंह ने बनवाया यहां हवामहल
प्यारी प्यारी हवामहल की खिड़कियां,
प्रसिद्ध यहां गैटोर की छतरियां,
सुंदर है सांभर झील का नजरिया,
गुलाबी है गुलाबी शहर की गलियां
बापू बाजार में बिकती सुंदर चुनरियां,
पिंक सिटी बाजार में सुंदर जूतियां ।
चौमूं किला और माधोगढ़ किला,
प्रसिद्ध यहां जयगढ़ का किला,
थोड़ी दूर है आमेर का किला,
पहाड़ी पर है नाहरगढ़ किला,
दिखता है जहां से पूरा जिला।
यहां हैं बिरला लक्ष्मी नारायण मंदिर,
और मोती डूंगरी में है गणेश मंदिर।
खोले के हनुमानजी और यहां गोविंददेव मंदिर,
जामवा-रामगढ़ में जामवाय माता का मंदिर
चाकसू में है शीतला माता का मंदिर,
तो आमेर में है शीला माता का मंदिर,
यहां हैं गढ़ गणेशजी और अक्षरधाम मंदिर
सुंदर है यहां चुलगिरि के जैन मंदिर।
पुराना है यहां विराटनगर,
बैराट सभ्यता है पुरानी,
बाणगंगा बहती जहां,
नमक उगलता सांभर का पानी।
ब्लू पॉटरी प्रसिद्ध यहां,
नरायणा में गूंजे दादू की वाणी ।
स्टैच्यू सर्किल व अल्बर्ट म्यूजियम
और यहां फैमस है चौखी ढाणी ।
सांगानेर में हवाई अड्डा और
रामगढ़ झील में लहराता पानी।
सावन में निकलती तीज की सवारी
फैमस है यहां का गणगौर मेला।
सांभर में शाकंभरी माता और
लुनियावास में गधो का मेला ।
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