झालावाड़ जिले का संपूर्ण इतिहास, भूगोल, कला और संस्कृति पर शानदार कविता जरूर पढ़ें ।
मैं हूं झालावाड़
मैं हूं राजस्थान की चेरापूंजी,
और झालाओं की भूमि।
मैं हूं संतरों का शहर
और खिंचियो की भूमि
16 लाख जनसंख्या और
62 सौ वर्ग किलोमीटर क्षैत्रफल,
मैं क्रांतिकारी तांत्या टोपे का कर्म स्थान,
गागरोन हैं संत पीपा का जन्म स्थान,
अचलदास खींची का हुआ यहां बलिदान,
झालरापाटन में पद्मप्रभु और
शीतलेश्वर महादेव तीर्थ स्थान ।
मेरे यहां गढ़ महल और शांतिनाथ का धाम,
झालरा-पाटन हैं यहां सूर्य मंदिर का धाम ,
घंटीयो का शहर कहते है जहां द्वारकाधीश धाम।
चंद्रभागा मेला सुंदर यहां है नवलखा गढ़-दुर्ग,
काली आहु संगम पर है गागरोन जल दुर्ग,
परवन नेवज बीच बसा चाचोरनी गढ़ दुर्ग ,
खींचीयो की भूमि पर यहां तीन जल दुर्ग
छापी का वह बांध बना है चौड़ी छापी नदियों पर,
भीमसागर बांध बना है उजाड़ जैसी नदियों पर,
खानपुर का जैन मंदिर बड़ा दर्शनीय स्थल ,
सेलीगढ़ी के महादेव उजाड़ जैसी नदियों पर,
महुधरा पर बना महल है हिंगलाज के धाम पर ,
मनोहरथाना दुर्ग बना है परवन काली खाड़ पर ।
नारंगी मे प्रथम रही है, कहते मुझे नागपुर है ,
कोलवी की बौद्ध गुफाए डग पीड़ावा क्षेत्र है,
यहां फैला मुकुंदरा का जंगल है,
जहां शेर भी करता दंगल है। हर शाम यहां की कुछ खास है,
गोमती सागर किनारे समुद्र का अहसास है,
खनन में इसका नाम है, कोटा स्टोन का अद्भुत काम है,
पहाड़ी पर नवलखा किला है, ऐसा अद्भुत झालावाड़ जिला है।
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