भीलवाड़ा जिले का कविता • Bhilwara Poem

भीलवाड़ा जिले की शानदार कविता जरूर पढ़ें। 
आसींद, शाहपुरा, हुरडा,रायपुर, मांडल, सहाड़ा, कोटड़ी जहाजपुर, बनेड़ा, बिजोलिया, मांडलगढ़ और भीलवाड़ा का संपूर्ण इतिहास, भूगोल, कला, संस्कृति और पर्यटन स्थल पर कविता है ।

मैं हूं भीलवाड़ा
कहते मुझे टेक्सटाइल सिटी 
और राजस्थान का मैन चेस्टर।
 बिकते यहां रंग बिरंगे कपड़े 
इसलिए कहते मुझे वस्त्र नगर। 
भील जनजाति ने मुझको बनाया
 इसलिए कहते भीलों का शहर। 
यहां बना है सुंदर बदनौर किला 
एक छोटी पहाड़ी पर,
मांडल में जगनाथ कच्छवाहा की छतरी 
और मांडलगढ किला बना है ऊंची पहाड़ी पर। 
उपरमाल का पठार यहां और 
मेजा बांध है कोठारी नदी पर। 
धनोप माता मंदिर यहां और 
सवाई भोज का मंदिर है यहीं पर, 
 मेनाल में है त्रिवेणी संगम और
 हुरडा सम्मेलन हुआ था यही पर। 

खारी नदी के किनारे आसींद नगर, 
जहां बिराजे श्री देवनारायण गुर्जर, 
प्रसिद्ध है बागौर का गुरुद्वारा, 
हरनी-महादेव पहाड़ियों में है शिव शंकर। 
यहां चारभुजानाथ और क्यारा में बालाजी, 
देवों के गीत गाता है यहां हर कंकर। 
जहाजपुर में घाटारानी और
 गंगापुर में बाईसा महारानी मंदर, 
यहां चमना बावड़ी और 
शाहपुरा का फड़ चित्रण है सुंदर। 

बिजोलिया के शिलालेख बहुत पुराने,
 सुन्दर है ये ऐतिहासिक नगर। 
तिलस्वा महादेव और मंदाकनी मंदिर, 
अनोखा है बिजौलिया शहर, 
हुआ था प्रसिद्ध किसान आंदोलन 
झुके थे अंग्रेजो के चंवरी कर, 
अंग्रेजो को था विजय सिंघ पथिक 
और माणिक्य लाल वर्मा का डर।  
 
शाहपुरा में केसरी सिंह बारहठ 
जैसे क्रांतिकारियों ने जन्म लिया,
इन्होने लिखा 13 सोरठो वाला चेतावनी रा चुंगटिया, 
ये सोरठा मेवाड़ महाराणा फतेह सिंह को भेंट किया ,
 महाराणा को मेवाड़ का गौरव याद दिलाकर 
दिल्ली दरबार में जाने से रोक दिया, 
इनके भाई जोरावर और पुत्र प्रताप सिंह बारहठ 
ने भी देश खातिर बलिदान दिया 
आसींद शाहपुरा और हुरडा,
रायपुर मांडल और सहाड़ा, 
कोटड़ी जहाजपुर और बनेड़ा, 
बिजोलिया मांडलगढ़ और भीलवाड़ा, 
ये शहर बहुत खास है, 
 10 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल मेरा 
पुराना मेरा इतिहास है, 
27 लाख जनसंख्या मेरी 
लोग यहां बड़े बिंदास है ।

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